रानी पेंशन स्कीम (OPS) को लागू करने की मांग को लेकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को ज्ञापन सौंपा गया है। यह मांग केंद्र सरकार के कर्मचारियों द्वारा की जा रही है, जो नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के बजाय पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करना चाहते हैं। OPS के तहत कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद उनके अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलता था, जिसमें कोई कर्मचारी योगदान नहीं होता था।
पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की मांग को लेकर कई कर्मचारी संगठनों ने आंदोलन किया है। उनका मानना है कि NPS में कर्मचारियों को अपने वेतन का एक हिस्सा योगदान करना पड़ता है, जो उनके लिए आर्थिक बोझ है। OPS के समर्थकों का कहना है कि यह स्कीम कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है।
पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने के लिए राजनीतिक दलों में भी मतभेद हैं। कुछ दल इसे चुनावी मुद्दा बना रहे हैं, जबकि अन्य इसकी बहाली की मांग को समर्थन दे रहे हैं। इस लेख में हम पुरानी पेंशन स्कीम के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और इसके महत्व को समझाएंगे।
पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) की मुख्य विशेषताएं
विशेषता | विवरण |
पेंशन राशि | सेवानिवृत्ति के बाद अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में। |
कर्मचारी योगदान | कोई कर्मचारी योगदान नहीं होता है। |
सरकारी योगदान | पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्तपोषित। |
महंगाई भत्ता | पेंशन में महंगाई भत्ता (DA) के माध्यम से वृद्धि। |
परिवार पेंशन | पूरी पेंशन परिवार को मिलती है। |
न्यूनतम पेंशन | कोई निश्चित न्यूनतम पेंशन राशि नहीं है। |
जोखिम कारक | कम जोखिम, पूरी तरह से सरकार द्वारा समर्थित। |
लचीलापन | कम लचीलापन, निश्चित लाभ। |
पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) का महत्व
पुरानी पेंशन स्कीम का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। यह स्कीम कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में देती है, जिसमें कोई कर्मचारी योगदान नहीं होता है। OPS के तहत पेंशन में महंगाई भत्ता (DA) के माध्यम से वृद्धि होती है, जिससे कर्मचारियों की पेंशन राशि समय-समय पर बढ़ती रहती है।
पुरानी पेंशन स्कीम के समर्थकों का कहना है कि यह स्कीम कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक स्थिरता प्रदान करती है। इसके अलावा, OPS में परिवार पेंशन का प्रावधान है, जिससे कर्मचारी की मृत्यु के बाद उनके परिवार को पूरी पेंशन मिलती है।
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) बनाम पुरानी पेंशन स्कीम (OPS)
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) में कई अंतर हैं:
- NPS में कर्मचारियों को अपने वेतन का 10% योगदान करना पड़ता है, जबकि OPS में कोई कर्मचारी योगदान नहीं होता है।
- NPS में पेंशन राशि बाजार से जुड़ी होती है, जबकि OPS में पेंशन राशि निश्चित होती है।
- NPS में परिवार पेंशन का प्रावधान नहीं होता है, जबकि OPS में पूरी पेंशन परिवार को मिलती है।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) की शुरुआत
हाल ही में, केंद्र सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) की घोषणा की है, जो OPS और NPS के बीच एक मध्यवर्ती विकल्प है। UPS में कर्मचारियों को अपने वेतन का 10% योगदान करना होगा, जबकि सरकार 18.5% योगदान करेगी। इस स्कीम में पेंशन राशि अंतिम 12 महीनों के औसत वेतन के आधार पर तय की जाएगी।
UPS की शुरुआत के बावजूद, कई कर्मचारी संगठन OPS की बहाली की मांग पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि UPS में कर्मचारी योगदान की आवश्यकता है, जो OPS की तरह नहीं है।
पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की मांग
पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की मांग को लेकर कई राजनीतिक दलों ने समर्थन दिया है। कांग्रेस पार्टी ने हिमाचल प्रदेश में चुनावी घोषणा पत्र में OPS को बहाल करने का वादा किया था, लेकिन अब तक इसे लागू नहीं किया गया है। भाजपा ने भी OPS की बहाली के मुद्दे पर कांग्रेस पर हमला किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि कांग्रेस ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया है, लेकिन वास्तव में लागू नहीं किया है।
पुरानी पेंशन स्कीम के लाभ
पुरानी पेंशन स्कीम के कई लाभ हैं:
- आर्थिक सुरक्षा: सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है।
- निश्चित पेंशन: पेंशन राशि निश्चित होती है, जो अंतिम वेतन के आधार पर तय की जाती है।
- महंगाई भत्ता: पेंशन में महंगाई भत्ता के माध्यम से वृद्धि होती है।
- परिवार पेंशन: पूरी पेंशन परिवार को मिलती है।
- कोई जोखिम नहीं: पूरी तरह से सरकार द्वारा समर्थित, जिसमें कोई जोखिम नहीं होता है।
पुरानी पेंशन स्कीम की चुनौतियाँ
पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने में कई चुनौतियाँ हैं:
- वित्तीय बोझ: सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ सकता है।
- राजनीतिक समर्थन: राजनीतिक दलों का समर्थन आवश्यक है।
- कर्मचारी संगठनों का समर्थन: कर्मचारी संगठनों का समर्थन भी आवश्यक है।
- वैकल्पिक विकल्प: UPS जैसे वैकल्पिक विकल्पों की मौजूदगी भी एक चुनौती है।
भविष्य की दिशा
पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली के लिए भविष्य में कई कदम उठाए जा सकते हैं:
- राजनीतिक समर्थन: राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर एकजुट होना होगा।
- कर्मचारी संगठनों का समर्थन: कर्मचारी संगठनों को भी इस मुद्दे पर एकजुट होना होगा।
- वित्तीय व्यवस्था: सरकार को वित्तीय व्यवस्था करनी होगी।
- वैकल्पिक विकल्पों का मूल्यांकन: UPS जैसे वैकल्पिक विकल्पों का मूल्यांकन करना होगा।
निष्कर्ष
पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) की बहाली की मांग को लेकर कर्मचारी संगठनों और राजनीतिक दलों में मतभेद हैं। OPS के समर्थकों का कहना है कि यह स्कीम कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है, जबकि NPS में कर्मचारियों को अपने वेतन का योगदान करना पड़ता है। UPS की शुरुआत के बावजूद, OPS की बहाली की मांग जारी है।
Disclaimer: पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) की बहाली की मांग वास्तविक है, और यह मुद्दा भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण विषय बना हुआ है। कई कर्मचारी संगठन और राजनीतिक दल इस मुद्दे पर एकजुट हुए हैं, लेकिन इसकी बहाली के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
OPS की बहाली के लिए राजनीतिक समर्थन और वित्तीय व्यवस्था आवश्यक है। UPS जैसे वैकल्पिक विकल्पों की मौजूदगी भी इस मुद्दे को जटिल बना रही है।