रेलवे के इतिहास में सबसे लंबी सुरंग! 105 KM का प्रोजेक्ट क्यों बना गेम चेंजर?

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भारत एक महत्वाकांक्षी रेलवे परियोजना पर काम कर रहा है जिसके तहत 105 किलोमीटर लंबी रेल सुरंग का निर्माण किया जा रहा है। यह परियोजना ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का हिस्सा है और इसका उद्देश्य उत्तराखंड राज्य में चार धाम यात्रा को सुगम बनाना है। इस परियोजना के पूरा होने से न केवल यात्रा का समय कम होगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। यह सुरंग भारतीय रेलवे के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगी और देश के बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगी।

यह रेल सुरंग परियोजना भारतीय रेलवे विकास निगम लिमिटेड (RVNL) और लार्सन एंड टुब्रो (L&T) जैसी प्रमुख कंपनियों के सहयोग से बनाई जा रही है। इस परियोजना में आधुनिक तकनीक और उन्नत इंजीनियरिंग का उपयोग किया जा रहा है ताकि सुरंग का निर्माण सुरक्षित और कुशल तरीके से किया जा सके। सुरंग के निर्माण से पांच जिलों – देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और चमोली – को लाभ होगा।

भारत क्यों बना रहा है 105 किलोमीटर लंबी रेल सुरंग? भारत 105 किलोमीटर लंबी रेल सुरंग का निर्माण कई महत्वपूर्ण कारणों से कर रहा है। यह सुरंग ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य चार धाम यात्रा को आसान और सुगम बनाना है। इसके अतिरिक्त, यह सुरंग उत्तराखंड राज्य में कनेक्टिविटी और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में भी मदद करेगी।

परियोजना का अवलोकन

विशेषताविवरण
परियोजना का नामऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना
सुरंग की लंबाई105 किलोमीटर (कुल सुरंगों की लंबाई)
कुल ट्रैक की लंबाई125.20 किलोमीटर
सुरंगों की संख्या17
पुलों की संख्या35
स्टेशनों की संख्या12
अनुमानित लागत₹23,000 करोड़
लाभान्वित जिलेदेहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग, चमोली

चार धाम यात्रा को सुगम बनाना

इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य चार धाम यात्रा को सुगम बनाना है। वर्तमान में, ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक सड़क मार्ग से यात्रा करने में लगभग 7 घंटे लगते हैं। इस रेल लाइन के बनने से यह दूरी केवल 2 घंटे में तय की जा सकेगी। इससे यात्रियों के समय और पैसे दोनों की बचत होगी और यात्रा अधिक आरामदायक हो जाएगी।

कनेक्टिविटी में सुधार

यह रेल लाइन उत्तराखंड के दूरदराज के क्षेत्रों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ेगी। इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और व्यापार के नए अवसर पैदा होंगे। साथ ही, यह परियोजना राज्य में पर्यटन को भी बढ़ावा देगी।

आर्थिक विकास

यह परियोजना उत्तराखंड राज्य के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगी। रेल लाइन के निर्माण से स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और नए व्यवसायों के लिए अवसर पैदा होंगे। इसके अलावा, यह परियोजना राज्य सरकार के राजस्व में भी वृद्धि करेगी।

पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना

इस परियोजना में आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है ताकि पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सके। सुरंगों का निर्माण करते समय इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि आसपास के पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो।

सुरक्षा

सुरंग प्रणाली को दो भागों में बनाया जा रहा है: ट्रेनों के लिए मुख्य सुरंग और आपात स्थिति के लिए एक माध्यमिक सुरक्षा सुरंग। सुरक्षा को बढ़ाने के लिए दोनों सुरंगों को हर 500 मीटर पर एक क्रॉसरोड से जोड़ा जाएगा।

नवीनतम तकनीक का उपयोग

सुरंग के निर्माण में ‘ड्रिल एंड ब्लास्ट’ तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। यदि भूविज्ञान अनुकूल रहा, तो टनल बोरिंग मशीनों (TBM) का भी उपयोग किया जा सकता है।

निष्कर्ष

105 किलोमीटर लंबी रेल सुरंग का निर्माण भारत के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है। इससे न केवल चार धाम यात्रा सुगम होगी, बल्कि उत्तराखंड राज्य में कनेक्टिविटी, आर्थिक विकास और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

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Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों पर आधारित है। परियोजना की वास्तविक स्थिति और विवरण अलग हो सकते हैं। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे नवीनतम जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों से संपर्क करें।

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