अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 5 अप्रैल 2025 से Reciprocal टैरिफ (पारस्परिक आयात शुल्क) की नई नीति लागू की है, जिससे वैश्विक व्यापार में हड़कंप मच गया है। इस नीति के तहत अमेरिका, अन्य देशों द्वारा लगाए जा रहे आयात शुल्क के बराबर शुल्क वसूलेगा। भारत पर 26% का टैरिफ लगाया गया है, जो चीन (54%), वियतनाम (46%), और बांग्लादेश (37%) की तुलना में कम है।
हालांकि, इसका सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, खासकर कृषि, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और वस्त्र उद्योग पर। भारत का अमेरिका को निर्यात 2024 में $8 बिलियन था, जिसमें 10-20% की गिरावट आ सकती है। इस लेख में हम जानेंगे कि यह नीति भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करेगी और अन्य देशों पर इसका क्या असर होगा। साथ ही, हम यह भी देखेंगे कि कैसे भारत इस चुनौती का सामना कर सकता है और अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर रख सकता है।
US Reciprocal Tarrifs
विशेषता | जानकारी |
भारत पर टैरिफ | 26% |
चीन पर टैरिफ | 54% |
वियतनाम पर टैरिफ | 46% |
बांग्लादेश पर टैरिफ | 37% |
जापान पर टैरिफ | 25% |
यूरोपीय संघ पर टैरिफ | 20% |
लागू होने की तिथि | 5 अप्रैल 2025 (10% सामान्य टैरिफ), 9 अप्रैल से देशवार टैरिफ |
प्रभावित क्षेत्र | कृषि, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, वस्त्र, IT |
भारत पर प्रभाव: किन सेक्टर्स को होगा नुकसान?
1. कृषि और समुद्री उत्पाद
- झींगा, चावल, और डेयरी उत्पाद पर 28.2% तक टैरिफ बढ़ सकता है।
- अमेरिका को भारत का निर्यात 2024 में $8 बिलियन था, जिसमें 10-20% की गिरावट आ सकती है।
2. फार्मास्यूटिकल्स
- भारत के फार्मा उत्पादों पर अमेरिका में 10% से अधिक टैरिफ लगेगा।
- अमेरिका भारत का सबसे बड़ा फार्मा निर्यात बाजार है ($7.5 बिलियन वार्षिक)।
3. इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो पार्ट्स
- स्मार्टफोन, राउटर, और ऑटो कंपोनेंट्स पर 7.2% तक टैरिफ बढ़ेगा।
- टाटा मोटर्स और सोना कॉमस्टार जैसी कंपनियों के शेयर पहले ही 4-5% गिर चुके हैं।
4. वस्त्र उद्योग
- कपड़ा निर्यात ($8 बिलियन वार्षिक) पर मार पड़ेगी, क्योंकि भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे।
5. IT सेवाएँ
- अमेरिका ने IT सेवाओं पर भी टैरिफ लगाने की धमकी दी है, जो भारत के $194 बिलियन के IT निर्यात को प्रभावित करेगा।
भारत पर समग्र असर: GDP को कितना झटका?
- GTRI रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका को निर्यात में 10% गिरावट से भारत की GDP पर 0.2% का असर होगा।
- SBI रिसर्च के अनुसार, घरेलू मांग मजबूत होने से भारत की विकास दर 6.5-7.5% बनी रहेगी।
- आशावादी पहलू: कनाडा और चीन पर अमेरिकी टैरिफ से भारत को नए निर्यात अवसर मिल सकते हैं।
अन्य देशों पर प्रभाव: किसे कितना नुकसान?
1. चीन
- 54% टैरिफ के कारण चीन का अमेरिका को निर्यात $500 बिलियन से गिरकर $300 बिलियन रह सकता है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स और स्टील उद्योग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
2. वियतनाम
- 46% टैरिफ से वियतनाम के कपड़ा और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात को झटका लगेगा।
- नाइके और सैमसंग जैसी कंपनियों का उत्पादन प्रभावित होगा।
3. बांग्लादेश
- 37% टैरिफ के कारण बांग्लादेश के वस्त्र निर्यात ($45 बिलियन) में 15-20% की गिरावट आएगी।
4. यूरोपीय संघ
- 20% टैरिफ से जर्मनी की कारों और फ्रांस की वाइन का निर्यात प्रभावित होगा।
भारत की रणनीति: कैसे कम करें नुकसान?
- अमेरिका के साथ ट्रेड डील: भारत और अमेरिका के बीच चल रहा ट्रेड डील जल्द पूरा होने की उम्मीद है।
- निर्यात विविधीकरण: यूरोप, अफ्रीका और मध्य पूर्व में नए बाजार तलाशे जा रहे हैं।
- घरेलू मांग पर फोकस: इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देकर GDP ग्रोथ बनाए रखना।
- डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा: UPI और ई-कॉमर्स के जरिए घरेलू खपत बढ़ाना।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रम्प की Reciprocal टैरिफ नीति से भारत को नुकसान तो होगा, लेकिन यह चीन या वियतनाम की तुलना में कम होगा। घरेलू मांग, युवा जनसंख्या, और डिजिटल इंडिया जैसे कारक भारत को स्थिर रखेंगे। हालांकि, सरकार को IT और फार्मा सेक्टर के लिए विशेष पैकेज की जरूरत होगी।
Disclaimer: यह लेख उपलब्ध आंकड़ों और रिपोर्ट्स पर आधारित है। टैरिफ नीति और इसके प्रभाव समय के साथ बदल सकते हैं। किसी भी निवेश या व्यापारिक निर्णय से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।